Himachal VOICE ब्यूरो, शिमला। एसएफआई हिमाचल प्रदेश की राज्य कमेटी ने आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के परीक्षा संबंधी निर्देशों के खिलाफ शिमला में प्रदेश शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन करते हुए यूजीसी, प्रदेश सरकार व शिक्षा निदेशक का पुतला दहन किया। एसएफआई राज्य कमेटी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने देश भर के लिए अनलॉक 3 के निर्देशानुसार किसी भी तरह की शैक्षणिक गतिविधि को प्रतिबंधित किया गया है और कहा है कि सभी शिक्षण संस्थान 31 अगस्त तक बंद रहेंगे और किसी भी तरह के जनसमूह के एकत्रित होने पर पूर्ण पाबंदी रहेगी तो ऐसे में केंद्र सरकार के कोविड 19 को लेकर जारी निर्देशों का प्रदेश सरकार कैसे उलंघन कर सकती है।
एसएफआई राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि पिछले एक महीने में हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेज रफ्तार के साथ बढ़ी है। इस महामारी के कारण छात्र जहां आज मानसिक रूप पीड़ित है, वहीं परीक्षाओं को लेकर चल रही असमंजस ने ओर अधिक चिंता बढ़ा दी है। यहां तक कि अब राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ ने भी इन परीक्षाओं का बहिष्कार करते हुए स्थगित करने की मांग की है।
एसएफआई का आरोप है कि प्रदेश सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन परीक्षा सम्बन्धी मसले पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए महज औपचारिकता पूरी कर रही हैं। इन परिस्थितियों में प्रदेश के हालत को नजरअंदाज किया जा रहा है। अगर इस परिस्थिति में परीक्षाएं होती है तो लाखों छात्र प्रदेश भर में इन परीक्षाओं का हिस्सा बनेगा, जिससे वायरस के फैलने की संभावना ओर अधिक बढ़ेगी।
एसएफआई ने मांग की है कि सरकार, एमएचआरडी और यूजीसी परीक्षाओं संबंधी अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सभी छात्रों को प्रमोट किया जाए। शिक्षा में 18 फ़ीसदी जीएसटी के फैसले को प्रदेश सरकार शीघ्र वापिस ले। सभी छात्रों की छात्रवृत्ति शीघ्र बहाल की जाए। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को शीघ्र स्थगित किया जाए और कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक संकट से झूझ रहे छात्रों को विशेष भत्ता दिया जाए।
एसएफआई ने चेताया है कि अगर सरकार छात्रों की इन जायज माँगों को शीघ्र हल नहीं करती है तो एसएफआई जल्द ही प्रदेश भर से छात्रों को लामबंद करते हुए प्रदेश सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी।