आधुनिकता के दौर में दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र वाले मलाणा गांव का आज भी अपना ही कानून है। समूचे हिमाचल प्रदेश समेत देश विदेश में जहां कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं कुल्लू जिले के इस गांव को आज तक कोरोना वायरस छू भी नहीं पाया। कोरोना काल के अब तक के 15 माह में इस गांव में एक भी कोरोना संक्रमण का मामला सामने नहीं आया।
यह इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि पूरे कोरोना काल में यहां के बाशिंदों ने बाहरी लोगों और पर्यटकों पर इस गांव में आने पर रोक लगा रखी है। 2350 की आबादी वाले इस गांव में देवता जमलू (जमदग्नि ऋषि) का कानून चलता है। गुर के माध्यम से जो देवता जमलू आदेश देते हैं उसी को माना जाता है। यहां के बाशिंदे खुद को सिकंदर का वंशज मानते हैं। पिछले अप्रैल से गांव में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं है।
मलाणा पंचायत प्रधान राजू राम ने कहा कि गांव के लोग भी किसी आपात स्थिति में ही गांव से बाहर निकलते हैं, जबकि बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश प्रतिबंधित है।
महान शासक सिकंदर के सैनिकों ने बताया था मलाणा गांव
कहा जाता है कि महान शासक सिकंदर फौज के साथ मलाणा क्षेत्र में आया था। राजा पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर के कई सैनिक जख्मी हो गए थे। सिकंदर भी थक गया था और वह घर वापस जाना चाहता था। लेकिन जब यहां पहुंचा तो उसे इस क्षेत्र का वातावरण पसंद आया। वह कई देने यहां ठहरा। जब वापस गया तो उसके कुछ सैनिक यहीं ठहर गए और बाद में उन्होंने यहीं अपने परिवार बनाकर गांव बसा दिया।
किसी भी अपराध पर देव जमलू देते हैं सजा
इस गांव में यदि कोई अपराध करता है तो सजा कानून नहीं बल्कि देवता जमलू देते हैं। देवता गुर के माध्यम से अपना आदेश सुनाते हैं। भारत का कोई भी कानून यहां नहीं चलता। अपनी इसी खास पहचान के चलते इस गांव को दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कहा जाता है।