सैंज (महेंद्र सिंह): कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए जहाँ पूरे देश में पिछले तीन महीनों से घोषित लॉकडाऊन के कारण देश की अर्थव्यवस्था चर्रमरा गई है वहीं आम जनता पर इसकी दोहरी मार पड़ रही है। काम धंधों से हाथ धो बैठी गरीब जनता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। सोमवार को जिला के सैंज में दर्ज़नों अभिभावकों ने सैंज संयुक्त संघर्षसमिति के बैनरतले अपने बच्चों की फ़ीस को लेकर स्कूल प्रशासन के प्रति रोष व्यक्त किया। सैंज स्थित एनएचपीसी द्वारा प्रायोजित केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ रहे सैंकड़ों बच्चों के अभिभावक लाचार हैं। स्कूल में पिछले तीन महीनों से बच्चों की कक्षाएं बंद है लेकिन स्कूल की ओर से लगातार बच्चों के अभिभावकों से फ़ीस वसूली जा रही है। ऐसे में गरीब तबके से जुड़े अभिभावक एक तो रोज़गार न होने से त्रस्त है वहीं स्कूल प्रशासन द्वारा ली जा रही बच्चों की फ़ीस मांगने से दोहरी मार झेल रहे हैं।
बता दें कि प्रदेश सरकार ने स्कूलों में फ़ीस न मांगने का फैसला लिया है और निज़ी स्कूलों को सिर्फ़ ट्यूशन फ़ीस मागने की अनुमति दी है, जबकि सैंज स्थित केन्द्रीय विद्यालय की देखरेख पार्वती परियोजना की एनएचपीसी कंपनी कर रही है। ऐसे में केन्द्रीय विद्यालय में पढ़ने बाले बच्चों के अभिभावक लगातार पिछले तीन महीनों से भारी भरकम फ़ीस जमा कर रहे हैं। उधर सोमवार को सैंज में अभिभावकों ने सैंज संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले स्कूल प्रधानाचार्य के माध्यम से केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को ज्ञापन सौंपा है।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि एक तरफ जहाँ सवा तीन महीनों में आम जनता बेहाल हुई है, वहीं एनएचपीसी प्रायोजित केन्द्रीय विद्यालय से अभिभावकों को फ़ोन पर फ़ीस जमा करने के संदेश आ रहे हैं जबकि इन अभिभावकों के पास आजकल न तो कोई रोज़गार है और न ही कोई दुसरा काम-धंधा शुरू हो सका।
समिति के सलाहकार जय बिहारीलाल, नारायण चौहान तथा मोतीराम पालसरा महासचिव शेर नेगी, पूर्व बीडीसी उपाध्यक्ष गोविन्द ठाकुर, सोशल मीडिया गवीश शर्मा एवं पवन ठाकुर ने एनएचपीसी को चेताते हुए कहा कि अगर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों फ़ीस माफ़ नहीं हुई तो संघर्ष समिति सभी अभिभावकों के हित में धरना-प्रदर्शन करेगी।
उधर अभिभावक शीतल शर्मा, डिंपल ठाकुर, पूनम, पासंग, रक्षा, टीना देवी, पपू परिहार, रजनी, अनिल, स्मृति, सुरेश, महेंद्र ठाकुर ने कहा कि लॉकडाऊन की बजह से सभी अभिभावकों की वित्तीय स्थिति खराब है और बच्चों की फ़ीस देने में असमर्थ हैं। अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन से आग्रह किया है कि लॉकडाऊन के दौरान बच्चों की फ़ीस माफ़ की जाये।