जोगिंदर नगर (चौंतड़ा) में गरजी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी

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चौंतड़ा (अंकित कुमार ) : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिवालय सदस्य एवं मंडी जिला के सचिव कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में आज माकपा ने जनता की मांगों पर आज चौंतड़ा स्थित किसान सभा कार्यालय के बाहर खुले मैदान में सोशल डिस्टेन्स बनाकर व मास्क लगाकर जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में माकपा नेता रविंदर कुमार, सुदर्शन वालिया, महेंद्र सिंह, प्रताप चंद, केहर सिंह, रमेश ठाकुर, अमर सिंह, रूप लाल, रत्न चंद, छांगा राम, रणवीर सिंह, रवि कुमार, बलदेव सिंह, मनदीप सिंह, सुशील कुमार, रघुवीर सिंह, जतन कुमार,  लछमन दास, राकेश कुमार, सुनील कुमार, भगत राम, संजय कुमार, शेर सिंह, रमेश कुमार, हरनाम, छांगा, राम, सकीना देवी, संतोष कुमारी, वीना देवी, धनवंती देवी, निशू, सरोज देवी, विद्या देवी, सुनीता देवी, सीतू देवी, मीना देवी, कृष्णा देवी, मीना देवी, शीला देवी, सीता देवी, सुमन लता, मंजू देवी, बबली सहित बड़ी संख्या में माकपा कार्यकर्ताओं व किसानों ने हिस्सा लिया। 
इस अवसर पर कुशाल भारद्वाज ने कहा कि कोरोना से बचाव रखना और दूसरों को जागरूक करना हम सबकी जिम्मेवारी है और हम सब इस जिम्मेवारी को निभाएंगे। उन्होंने मास्क पहनने, सोशल डिस्टेन्स बना कर रखने, बार-बार साबुन से हाथ धोने के महत्व पर भी प्रकाश डाला तथा जरूरतमंदों की हर संभव सहायता के लिए भी अपने कार्यकर्ताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि हमारे और आपके हाथ में इतना ही है और हम यही कर सकते हैं, बाकी का काम सरकार का है और सरकार को इस बीमारी के प्रसार से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रसार करना होगा, कोरोना योद्धाओं को सुरक्षा देने के लिए भी सरकार को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। 
उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना की कोई दवाई नहीं बनी है और कोरोना वायरस से सबसे प्रभावी लड़ाई इंसान का शरीर ही लड़ता है। हमारा शरीर कोरोना को तभी हरा पाता है यदि हमारा इम्यून सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो। शरीर का इम्यून सिस्टम पौस्टिक भोजन से ही मजबूत बनता है और फिलहाल हमारे देश में इसकी ही सबसे ज्यादा कमी है। यहाँ तो हालत यह है कि लॉकडाउन के बाद से अब तक 15 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं, सरकार विशेष कर केंद्र सरकार की तरफ से इनको कोई मदद नहीं मिली है। करोड़ों भारतवासी ऐसे हैं जिनको भरपेट भोजन ही उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। रोजगार छिन जाने से और काम धंधा मंदा पड़ जाने से लोग पाई-पाई को मोहताज हो गए हैं। ऐसे में यदि सरकार अपने नागरिकों की जीवन रक्षा के लिए काम नहीं करेगी तो फिर सरकार होती किस लिए है। 
उन्होंने कहा कि माकपा की और आम भारतवासियों की भी मांग है कि अगले 6 महीने तक उन सब परिवारों को जो आयकर दाता नहीं हैं के खातों में हर महीने 7500 रू॰ कैश ट्रांसफर किया जाये तथा हर जरूरतमंद को अगले 6 महीने तक प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम राशन हर महीने मुफ्त में दिया जाए, मनरेगा में काम मांगने वालों को तुरंत काम दिया जाये तथा साल में 200 दिन का काम दिया जाये और दिहाड़ी 600 रू॰ दी जाए। जो लोग रोजगार छिन जाने के कारण अपने घरों को लौटे हैं तथा आप्रवासियों को भी मनरेगा में बराबर काम दिया जाये। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब पूरा देश कोरोना का कहर झेल रहा है तो सरकार के राहत पैकेज पूनीपतियों की ही सेवा में अर्पित हो रहे हैं।
 मजदूरों के पक्ष में बने श्रम कानूनों को भी कोरोना की आड़ में पूँजीपतियों के पक्ष में बदला जा रहा है। पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम हर रोज बढ़ाए जा रहे हैं। कोरोना के प्रसार को रोकने में भी सरकार पूरी तरह से फेल नजर आती है। उन्होंने कहा कि यदि स्वास्थ्य जांच और टेस्टों की संख्या बढ़ाई जाये तो कोरोना के भयावह आंकड़े सामने आएंगे। मुसीबत के इस दौर में लोगों को मूल भूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं और वर्चुअल रैलियों में करोड़ों रूपये बहाये जा रहे हैं। ऐसे समय में जेबी  पूरा देश कोरोना को हराना चाहता है उसी वक्त सरकार की नाक के नीचे व्यक्तिगत स्वास्थ्य उपकरणों और अन्य खरीद पर घोटाले भी सामने आए हैं। ये तमाम घटनाएँ निश्चित ही उन लोगों को तो जरूर दुख पहुंचाती हैं जो कोरोना से लड़ने के लिए दान दे रहे हैं या सीधे अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उपरोक्त मांगों पर शीघ्र अमल होना चाहिए।

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