मंडी । एसएफआई मण्डी जिला कमेटी ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि जो यूजीसी द्वारा कालेज परीक्षाओं के निर्देश दिए गए हैं वो छात्रों के साथ खिलवाड़ है उन निर्देशों को वापिस लिया जाए।
एसएफआई का कहना है कि हम जानते हैं छात्रों की कक्षाएं नहीं हुई है, शिक्षण संस्थान 4 महीने से बंद है केवल 4 महीने से ऑनलाइन कक्षाओं के नाम पर औपचारिकता पूरी की गई है, कहीं भी ऑनलाइन कक्षाएँ सुचारु रुप से नहीं हुई है, ऐसे में छात्र बिना कक्षाएँ लगाए कैसे परीक्षाएँ देगा। इसलिए ऐसे में परीक्षाओं को करवाने का फैसला लेना भी छात्रों के साथ खिलवाड़ है ।
इस महामारी के कारण छात्र एक तो मानसिक रूप से परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं है, दूसरा ऐसे समय मे परीक्षाओं का होना संक्रमण को न्यौता देने के अलावा और कुछ नहीं है।
एसएफआई जिला सचिव रोहित ठाकुर ने कहा है कि अभी देशभर में कोरोना का कहर नहीं थमा है जिसकी वजह से राष्ट्रीय लाकडॉउन की कुछ शर्तें जिनमें शिक्षण संस्थानों का बन्द रहना अभी तक जारी है । आज इस महामारी के प्रसार में हम कई राज्यों में तीसरे चरण में पहुंच चुके हैं और प्रतिदिन देश में 20 से 25 हजार के करीब कोरोना संक्रमितों के मामले सामने आ रहे है। लेकिन अगर परीक्षाएं होती है तो करोड़ों छात्र देश भर में इन परीक्षाओं का हिस्सा बनेगा। इसके साथ साथ लाखों की संख्या में इन परीक्षाओं में शिक्षा विभाग के कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिससे वायरस के फैलने की संभावना ओर अधिक बढ़ेगी, तो ऐसे में उनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी कौन लेगा?
एसएफआई ने मांग की है कि सरकार, एमएचआरडी और यूजीसी परीक्षाओं सम्बन्धी अपने फैसले पर पुनर्विचार करें तथा यूजीसी शीघ्र किसी अन्य मूल्यांकन विकल्प के साथ परीक्षा से सम्बंधित असमंजस को दूर करे और एसएफआई के सुझाव अनुसार सभी छात्रों को प्रमोट किया जाए।