पर्यटकों की आवभगत को तैयार नहीं होमस्टे संचालक, लिया पर्यटन व्यवसाय को बंद रखने का फ़ैसला

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सैंज (महेंद्र सिंह) : प्रदेश सरकार ने जहाँ एक ओर कुछ शर्तों के साथ पर्यटन कारोबार को शुरू करने का फैसला लिया है, वहीं आम जनता इस फैसले के पक्ष में नहीं दिख रही है। विभिन्न स्थानों से लोगों के मुखर होने के बाद जिला कुल्लू की सैंज उपतहसील में भी लोगों ने इस फैसले में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालाँकि सैंजघाटी में लोगों ने सरकार के इस फैसले का प्रत्यक्ष रूप से विरोध नहीं किया, लेकिन इस व्यवसाय से जुड़े लोगों ने इस कठिन दौर में अपना कारोबार शुरू न करने का फैसला लिया है।
 बता दें कि सैंज के धाउगी, बनोगी, सुचैहण, शांघड़, मनुमंदिर शैंशर व रैला इत्यादि क्षेत्रों में सैलानियों की आवाजाही सीज़न शुरू होने पर शुरू होती है और विभिन्न इका-दुक्का सरकारी रेस्ट हॉउस के अलावा यहां लोगों ने होम स्टे संचालित किये हैं जो पिछले वर्ष तक अच्छी-खासी कमाई कर लेते थे। मौजूदा समय में कोरोना के खौफ से लोगों ने बाहरी लोगों के आने-जाने पर प्रशासन से पूर्ण पाबंदी का आग्रह किया है और सोशल मीडिया पर भी सरकार के सैलानियों को हिमाचल छोड़ने के फैसले को गलत ठहरा रहे हैं l
 बीते दिनों जिला की झीभी व तीर्थन वैली एसोसिएशन ने होटलों को न खोलने का फैसला लिया था जिसे स्थानीय लोगों ने भी सराहनीय फैसला करार दिया था। उधर सैंजघाटी के शांघड़, देहुरिधार व शैंशर पंचायत के होमस्टे संचालकों ने भी किसी भी तरह की पर्यटन गतिविधि को न करने का फैसला लिया है।
 डिवाईन लैंड शांघड़ होमस्टे के संचालक रवि पालसरा ने बताया कि हम कोरोना जैसी महामारी जैसा जोखिम उठाकर अपने कारोबार को नहीं करना चाहते। रवि पालसरा के अनुसार शांघड़ में होमस्टे संचालकों ने ऑनलाईन बुकिंग को भी रद्द किया है ताकि अन्य ग्रामीणों को भी महामारी के डर से दूर रखा जा सके तथा सैंजघाटी सहित अन्य लोगों से भी अपील की है कि इस कठिन समय में कारोबार की बजाय अपनी और अपने आस-पड़ोस की सुरक्षा को सर्वोपरी मानें। होमस्टे संचालकों के इस फैसले की क्षेत्र में काफी सराहना हो रही है और तमाम लोग इसे निस्वार्थ भाव से लिया गया जनहित फैसला बता रहे हैं।
गौर हो कि सैंजघाटी में धाउगी झरना, दुर्गा मंदिर देहुरी, सुचैहण स्थित दलोगी झील, शांघड़ का देवता मैदान, बरशांघड़ वॉटरफॉल, सरा झील, मनुमंदिर शैंशर, रूपी रैला वॉटरफॉल तथा भाटकंडा इत्यादि स्थानों पर पिछले कुछ वर्षों से सैलानियों की आवाजाही होती है, वहीं सरकार द्वारा सैलानियों को प्रदेश के अंदर छोड़ने के फैसले से इन स्थानों पर भीड़ बढ़ने की आशंका है। ऐसे में महामारी की वजह से डर के साए में जी रहे ग्रामीणों ने किसी भी पर्यटक को न छोड़ने का फैसला लिया है। होटल एवं होमस्टे संचालकों के इस फैसले का समर्थन सैंज संयुक्त संघर्षसमिति ने भी किया है ।
सैंज सयुंक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष महेश शर्मा ने बताया कि सैंजघाटी में पर्यटकों के आने से बीमारी आने का खतरा है, जिसको लेकर आम जनता ने संघर्षसमिति से संपर्क किया है और समिति इसके लिए जल्द जिलाधीश को ज्ञापन सौंपेगी।

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