“बुलाती है मगर जाने का नहीं” “किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है” जैसी हर पंक्ति में जिंदा है राहत इंदौरी

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Himachal VOICE ब्यूरो। मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया। मंगलवार को सुबह ही उनके कोरोना संक्रमित होने की ख़बर सामने आई थी जिसके बाद अब शाम को उनके निधन की ख़बर है। दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई है। राहत इंदौरी इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती थी जहां अचानक उन्हें दौरा पड़ा। माना जा रहा है कि 70 साल की उम्र में कोरोना के संक्रमण से उन्हें ये अटैक पड़ा है।

राहत इंदौरी बच्चों से लेकर बूढ़े हर उम्र के लोगों के दिलों में राज करने वाले शायर थे। “बुलाती है मगर जाने का नहीं” ये पंक्तियां आज भी हर एक युवा की जुबां पर है। वहीं अगर बात करें तो “सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है” जैसी पंक्तियां कट्टरपंथी ताकतों के मुंह पर तमाचे के समान है। आज पूरा देश दुखी है, देश ने आज एक नायाब शायर खोया है।

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