मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने शुक्रवार को राज्य सचिवालय में बांधों से पानी छोड़े जाने के संबंध में सुरक्षा मुद्दों पर बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि यह प्राकृतिक आपदा है लेकिन बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 (Dam Safety Act-2021) और केंद्रीय जल आयोग की ओर से वर्ष 2015 में जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना नहीं करने पर बांध परियोजनाओं में विफलता के लिए बांध प्रबंधन की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए। मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को बांध प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुए नुकसान पर रिपोर्ट देने के लिए। ताकि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग की ओर से वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश राज्य के 24 छात्रों के पानी में बह जाने के बाद बांधों से पानी छोड़े जाने और आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इस अधिनियम में सभी निर्दिष्ट बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रख-रखाव का प्रावधान है, लेकिन कुछ प्राधिकरण इनकी अनुपालन में विफल रहे हैं। अनुपालना में किसी भी प्रकार की चूक को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि बांधों का जोखिम मूल्यांकन नियमित आधार पर किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिमाचल के सभी बांधों पर सुरक्षा इकाइयां 24 घंटे कार्यशील रहे। बैठक में पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, वित्त आयुक्त राजस्व ओंकार चंद शर्मा, निदेशक ऊर्जा हरिकेश मीणा, निदेशक-एवं-विशेष सचिव (एसडीएमए) डीसी राणा, सचिव ऊर्जा राजीव शर्मा, ऊर्जा विभाग के मुख्य अभियंता इंजीनियर डीपी गुप्ता, उप मुख्य अभियंता ऊर्जा दीपक जसरोटिया भी मौजूद रहे।
वर्तमान परिस्थिति में बांध सुरक्षा जांच मानकों अनुसार नहीं
मुख्य सचिव न कहा कि राज्य में वर्तमान परिस्थितियों से स्पष्ट इंगित होता है कि बांध सुरक्षा जांच मानकों के अनुसार नहीं की गई। डीएसए के तहत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना, जल निकासी संबंधी दिशा-निर्देश, नियंत्रण कक्ष की स्थापना, जलाशय रख-रखाव, आपातकालीन कार्य योजना और बांध स्थलों और पावर हाउस के बीच बेहतर संचार इत्यादि का प्रावधान है।