बिलासपुर: राजकीय नर्सिंग स्कूल बिलासपुर की छात्रा की ओर से लगाए गए रैगिंग के आरोप निराधार पाए गए हैं। एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार यह विवाद छात्राओं में काम करने को लेकर निकला है। रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्राओं को स्कूल में स्टाफ की कमी के कारण कई काम खुद करने पड़ते हैं। काम करने और कराने को लेकर छात्राओं में विवाद हुआ। उधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से मामले की रिपोर्ट संलग्न कर एक बार फिर रिक्त पदों को भरने के लिए निदेशालय को पत्र भेजा जाएगा।
दूसरी ओर पुलिस की जांच अभी जारी है। कमेटी की ओर से सीएमओ को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार नर्सिंग स्कूल की अन्य किसी छात्रा ने रैगिंग करने की बात नहीं की है। स्कूल में प्रधानाचार्य और मात्र दो शिक्षिकाएं हैं। शिक्षकों के चार पद और वार्डन का पद खाली है। गेट, कमरे, कार्यालय बंद करना, बाहर से सामान लाना आदि कार्य छात्राओं को करने पड़ते हैं। छात्राएं यह काम मिल बांटकर कर लेती हैं। ऐसे ही कामों को लेकर वरिष्ठ छात्राओं और रैगिंग का आरोप लगाने वाली छात्रा के बीच विवाद हो गया।
सीएमओ बिलासपुर डॉ.प्रवीण चौधरी ने कहा कि एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट में छात्रा की ओर से लगाए गए रैगिंग के आरोप निराधार निकले हैं। स्कूल में चल रहे रिक्त पदों को भरने के लिए एक बार फिर रिपोर्ट के साथ पत्र निदेशालय भेजा जाएगा।
यह है मामला
10 अगस्त की रात को नर्सिंग स्कूल की प्रथम वर्ष की छात्रा ने एक साथ एंटीबायोटिक की 11गोलियां खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। उसने पुलिस को दिए बयान में तीन वरिष्ठ छात्राओं पर रैगिंग करने और स्कूल प्रिंसिपल सहित विभाग पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। वहीं, आरोप लगाने वाली छात्रा अब स्वस्थ है और घर चली गई है।