HomeInspirationalचंबा रुमाल बना परिवार की परवरिश का जरिया- उम्र 56 साल, मिल...

चंबा रुमाल बना परिवार की परवरिश का जरिया- उम्र 56 साल, मिल चुके हैं कई पुरस्कार

चंबा: चंबा रुमाल शिल्पी मस्तो देवी जब 27 साल की थी। उनके पति का निधन हो गया। तीन बच्चों के साथ बुजुर्ग सास की जिम्मेवारी मस्तो के कंधों पर आ गई। आगे की जिंदगी मुश्किल थी पर हरिपुर के सिद्धपुरा गांव की मस्तो ने हिम्मत नहीं हारी। चंबा रुमाल ने मस्तो की जिंदगी को नया मोड़ दिया। उस समय दिल्ली क्राफ्ट काउंसिल की ओर से एक चंबा कढ़ाई का केंद्र आरंभ हुआ। जिसमें 35 दिनों का चंबा रुमाल का प्रशिक्षण मिल रहा था।

पद्मश्री विजय शर्मा ने उनकी मदद करते हुए उन्हें प्रशिक्षण हासिल करने के लिए प्रेरित किया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें एक छोटा रुमाल बनाने के लिए दिया गया। उन्होंने पूरी मेहनत के साथ उसे पूरा कर वापस सौंपा तो दिल्ली क्राफ्ट काउंसिल को उनका रुमाल इतना भाया कि उन्होंने इसमें ही अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरणा दी। लगातार पांच वर्ष तक चंबा रुमाल बनाने पर दिल्ली क्राफ्ट काउंसिल ने उन्हें काउंसिल का अध्यक्ष बनाया।

तब से चंबा रुमाल बनाने को लेकर शुरू किया अभियान 28 वर्ष भी जारी है। आज मस्तो 56 साल की हो गई हैं। चंबा रुमाल बनाने को लेकर उनकी ललक से उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। मस्तो देवी के मुताबिक कोई भी चुनौती मेहनत के आगे नहीं टिक सकती है। बशर्ते सच्चे मन से आगे बढ़ने की ललक होनी चाहिए। 

56 वर्षीय मस्तो देवी उम्र के इस पड़ाव पर भी युवतियों को खादी कॉटन के कपड़े पर रेशमी, सिल्क और नेचुरल कॉटन धागे से कढ़ाई के गुर देती हैं। कमला देवी चट्टोपाध्याय और मार्तंड पुरस्कार विजेता शिल्पी का लक्ष्य निर्धन परिवार की युवतियों को चंबा कढ़ाई की बारीकियां सीखा कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ना है।

चंबा रुमाल की कारीगरी मलमल, सिल्क और कॉटन के कपड़ों पर की जाती है। यह वर्गाकार और आयताकार होते हैं। चंबा रुमाल में कई प्रकार के डिजाइन अंकित किए जाते हैं। चंबा रुमाल पर की गई कढ़ाई ऐसी होती है कि दोनों तरफ एक जैसी कढ़ाई के बेल बूटे बनकर उभरते हैं। बाजार में चंबा रुमाल की कीमत 5 हजार से 50 हजार तक है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments