पुरानी पेंशन बहाली के लिए विधायक अनिल शर्मा से मिला NPSEA मंडी का प्रतिनिधिमंडल

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मंडी: शुक्रवार को नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ जिला मंडी राज्य के आदेशानुसार सदर मंडी विधानसभा क्षेत्र के विधायक अनिल शर्मा से महासंघ के जिला अध्यक्ष लेखराज की अध्यक्षता में उनके निवास स्थान पर अपने एक प्रतिनिधिमंडल से पुरानी पेंशन बहाली के लिए मिला।

जिला अध्यक्ष लेखराज ने कहा कि नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के राज्य आदेशानुसार हिमाचल प्रदेश के सभी 68 विधायकों से पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर अंतिम बार मिलने के लिए आदेश हुए हैं जिसमें विधायक चाहे सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का।

जिला अध्यक्ष लेखराज ने मंडी सदर विधानसभा विधायक अनिल शर्मा को नई पेंशन प्रणाली में खामियां गिनाते हुए कहा कि सन 2001 अटल विहारी बाजपेई की सरकार ने उदारीकरण नीति के तहत इसका प्रारूप तैयार किया था जिसके तहत कर्मचारियों की सेलेरी से कुछ भाग काटकर उसमें बराबर भाग सरकार डालेगी ऒर उस पैसे का निवेश शेयर मार्किट में किया जाएगा।

2004 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने पॉलिसी को लागू कर दिया । एक अप्रैल 2004 से इसे केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू कर दिया गया । लेकिन हिमाचल की वीरभद्र सरकार ने 2006 में इसकी अधिसूचना निकाली और इसे हिमाचल में 15 मई 2003 से लागू कर दिया । वेस्ट बंगाल और त्रिपुरा में ये पॉलिसी लागू नही थी लेकिन नई सरकार भाजपा की बनते ही वहां पर भी इस नीति को लागू कर दिया । इसका सीधा प्रभाव डेढ़ लाख कर्मचारियों पर पड़ा ।

जानकारों के अनुसार सरकार ने इस पर कोई नीति बनाए बिना इसे लागू कर दिया । 2011तक सरकार का कोई ड्राफ्ट और नीति न होने के कारण ये सारा पैसा हिमाचल सरकार के पास अकाउंटेंट जनरल यानी महालेखाकार के पास जमा रहा । उसके बाद इस पैसे को एनएसडीएल को ये पैसा दिया गया ताकि वो इस पैसे को शेयर मार्केट में निवेश कर सके । 2011 से लेकर अब तक का सारा पैसा सरकार कर्मचारियों का इसी कम्पनी को जा रहा है । वो कम्पनी इसे अपने विवेक के अनुसार शेयर मार्केट में लगा रही है ।

इसका कर्मचारियों पर प्रभाव ये है कि जितना पैसा कर्मचारी का सेवाकाल में कटेगा ,सेवानिवृति पर कर्मचारी को उसका 60 प्रतिशत पैसा मिलेगा बाकी 40 प्रतिशत पैसा कर्मचारी को सरकार द्वारा तय कम्पनी में ही इन्वेस्ट करना होगा । 40 प्रतिशत पैसे का जो वार्षिक ब्याज या लाभ 12 महीने में बांटकर उसे पेंशन के रुप दिया जाता है ।जिला अध्यक्ष लेखराज ने कहा कि सदर विधानसभा क्षेत्र में ही ऐसे अनेकों पेंशनर है जिन्हें मात्र 200 से 2000 तक पेंशन लग रही है जो कि न्याय उचित नहीं है।

जानकारी देते हुए यह भी कहा कि एक आरटीआई में यह खुलासा हुआ है कि 15 मई 2003 से लेकर 31 दिसंबर 2021तक हिमाचल प्रदेश का कुल 5821 करोड़ रुपया एन एस डी एल कंपनी के पास जमा हुआ है। जिस पर हिमाचल प्रदेश सरकार ने 17 करोड़ 84 लाख रुपए रखरखाव के लिए कंपनी को वहन किया है।अगर हिमाचल प्रदेश सरकार कंपनी से उपरोक्त रकम वापस लेती है तो प्रदेश सरकार को किसी भी प्रकार के ऋण लेने की आवश्यकता नहीं रहेगी।

जिला अध्यक्ष लेखराज ने यह भी कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश सरकार बजट सत्र में पुरानी पेंशन को बहाल नहीं करती तो कर्मचारी वर्ग बजट सत्र के दौरान बहुत बड़ी रैली का आयोजन करेगा तथा तब तक शिमला से वापस नहीं आएंगे जब तक सरकार पुरानी पेंशन बहाल ना कर देजिसके लिए महासंघ द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है तथा आने वाले दिनों में राज्य स्तरीय दो दिवसीय बैठक में आगे की रणनीति तैयार की जाएगी तथा संघर्ष को और तेज कर दिया जाएगा जिसकी सारी जिम्मेवारी सरकार की रहेगी।

विधायक अनिल शर्मा ने पूरी बात सुनने के पश्चात पुरानी पेंशन को एक जरूरी तथा जायज मांग करार करते हुए कहा कि वे आने वाले विधानसभा के बजट सत्र में कर्मचारियों की इस महत्वपूर्ण मांग को पुरजोर तरीके से सरकार के समक्ष रखेंगे।

इस मौके पर महासंघ के राज्य सलाहकार कन्हैया राम सैनी, राज्य कानूनी सलाहकार विद्यासागर, राज्य संयुक्त सचिव नसीब सिंह, जिला महासचिव प्रवीण धीमान, जिला महासचिव (महिला विंग) वनिता सकलानी, जिला एडवाइजर डॉक्टर संजय कुमार, जिला ऑर्गेनाइजिंग सचिव हितेश परमार, एग्जीक्यूटिव मेंबर महेश कुमार, उदय भारद्वाज, शबनम, रेखा शर्मा, शकुंतला देवी, सदर ब्लाक मंडी के उपाध्यक्ष चंद्र रणावत, ब्लॉक महासचिव हरीश ठाकुर, ब्लाक महासचिव महिला विंग वंदना ठाकुर, ब्लॉक सह कोषाध्यक्ष नवल राजपूत, ब्लॉक उपाध्यक्ष कश्मीर सिंह नेगी, ब्लॉक एग्जीक्यूटिव मेंबर पिंकी देवी, मीना शर्मा, सुमित्रा देवी, लता ठाकुर, उर्मिला ठाकुर, यशपाल घई, डॉक्टर नवीन सैनी, नरोत्तम कुमार, दिलीप सिंह, रजनीश ठाकुर, दिनेश कपूर आदि अनेक पेंशन विहीन साथी मौजूद रहे।

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