बिलासपुर: निर्माणाधीन किरतपुर-नेरचौक फोरलेन (Kiratpur Nerchowk Four Lane) में बिलासपुर और मंडी में परिवर्तित भूमि को अभी तक केंद्र सरकार के नाम नहीं किया गया है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत ली गई जानकारी में खुलासा हुआ है कि इस परियोजना में इन दो जिलों में निजी भूमि को छोड़कर सरकारी और वन भूमि का कोई भी इंतकाल केंद्र के नाम तस्दीक नहीं हुआ है। तहसीलदार मनाली ने अपने कार्यालय की पत्र संख्या 289-90 में इसकी पुष्टि की है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की भूमि अधिग्रहण इकाई और प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने परियोजना में तीन जिलों कुल्लू, मंडी और बिलासपुर की 10 तहसीलों, तीन उप तहसीलों में कुल 208 इंतकाल निजी भूमि के केंद्र सरकार के नाम दर्ज व तस्दीक किए हैं। लेकिन, इन इंतकालों में अभी बिलासपुर व मंडी की सरकारी और वन भूमि की एनएचएआई के नाम परिवर्तित भूमि का कोई भी इंतकाल केंद्र सरकार के नाम न तो दर्ज हुआ है और न ही तस्दीक हुआ है।
बिलासपुर में जिस तहसीलदार ने निजी भूमि का अधिग्रहण किया, उसी ने इस भूमि को केंद्र सरकार के नाम दर्ज व तस्दीक कर दिया। इन इंतकालों को करते समय किसी भी मलकीयत, सरकारी और मुश्तरका मालिक को मौके पर भी नहीं बुलाया गया था, जोकि हिमाचल प्रदेश भू अधिनियम 1954 की धारा 35 (3), (7) का सीधा उल्लंघन है।
फोरलेन विस्थापित एवं प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल शर्मा ने कहा कि आरटीआई के अनुसार उपतहसील औट जिला मंडी ने यह भी जानकारी उपलब्ध करवाई है कि उपतहसील औट में चार मुहाल ऐसे पाए गए, जिनमें इंतकालों के साथ अधिग्रहीत की गई भूमि के मुहालों के नक्शे ही संलग्न नहीं हैं।
कहा कि आरटीआई के तहत जो मनाली तहसीलदार ने जानकारी दी है, उसके अनुसार बिलासपुर, मंडी में सरकारी और वन विभाग की एनएचएआई के नाम परिवर्तित करीब 85 हेक्टेयर भूमि के इंतकाल केंद्र सरकार के नाम दर्ज नहीं हुए हैं, जोकि अपने आप में बहुत बड़ी अनियमितता है। कहा कि सरकार को इसपर कड़ा संज्ञान लेना चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।