हिमाचल: सुहागिन के जोड़े में शहीद विवेक की पत्नी ने लगाए ‘मेरा फौजी अमर रहे’ के लगाए नारे

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कांगड़ा: हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए कांगड़ा जिला के पैरा कमांडो लांस नायक विवेक कुमार का राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। विवेक की पत्नी प्रियंका कुमारी सुहागिन के जोड़े में श्मशानघाट तक पति की अंतिम यात्रा में शामिल हुईं। इस दौरान प्रियंका ने तिरंगे को छाती से लगाए रखा। श्मशानघाट पहुंचते ही प्रियंका ने लोगों से कहा कि वे चुप रहें … मैं नारे लगाती हूं। प्रियंका ने यहां … मेरा फौजी अमर रहे के नारे लगाए।

यह देख अंतिम यात्रा में शामिल हुए हजारों लोगों की आंखें नम हो गईं। शनिवार दोपहर करीब 3:30 बजे विवेक का पार्थिव शरीर उनके घर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के ठेहड़ू गांव कोसरी पहुंचाया गया। ताबूत देखते ही उनकी मां आशा कुमारी बेसुध हो गईं। पिता प्रीतम अपने बेटे को एक टक देखते रहे। पत्नी प्रियंका अपने पांच माह के बेटे को साथ लेकर ताबूत से लिपट गईं।

विवेक का अंतिम संस्कार लंबागांव के कुंजेश्वर महादेव श्मशानघाट पर किया गया। उनके छोटे भाई सुमित कुमार ने मुखाग्नि दी। इस दौरान उनको सेना व पुलिस की ओर से तोपों की सलामी दी गई। इस दौरान लोगों ने विवेक कुमार उर्फ कालू अमर रहे के नारे भी लगाए। उल्लेखनीय है कि विवेक कुमार का जन्म वर्ष 1993 में हुआ था। वह वर्ष 2012 में सेना में भर्ती हुए थे। 

मुझे अपने बेटे पर गर्व है, मैंने अपना बेटा भारत माता को दिया है।  विवेक कुमार का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही बेसुध मां आशा के मुंह से दर्दभरी आवाज में यही शब्द निकल रहे थे। मैंने अपना बेटा भारत माता की गोदी में डाला है, लेकिन अब परिवार का गुजारा कौन करेगा, ऐसे शब्द मां कह रही थी। यह सुन वहां मौजूद हर शख्स के आंसू निकल आए। पति को खो देने वाली पत्नी ने कहा कि उसका सुहाग खो गया, उसके सारे अरमान खो गए।

सरकार मुझे नौकरी दे ते वह अपने बच्चे के लिए पति के लिए अरमान पूरे करूंगी और अपने परिवार का भी पाल सकूंगी। विवेक कुमार ही घर के इकलौते कमाने वाले थे उनकी कमाई से ही घर का सारा खर्च चल रहा था। अब इस घर की दो वक्त की रोटी चलाने वाला कोई नहीं है। उसका छोटा भाई भी कोई खास काम नहीं करता है। पिता बुजुर्ग हो चुके हैं। ऐसे में माता-पिता को भविष्य सताने लगी है।

विवेक कुमार के 2012 में सेना में भर्ती होते ही घरवालों ने राहत की सांस लेकर कहा था कि भगवान तेरा शुक्र है कि अब उन्हें रोजी रोटी की कोई चिंता नहीं रही। लेकिन माता आशा, पिता प्रीतम व पत्नी प्रियंका को यह मालूम नहीं था कि विवेक उन्हें मझदार में छोड़कर यूं चला जाएगा। लोगों का कहना था कि सरकार उसके छोटे भाई को नौकरी देे तो परिवार का गुजारा आराम से हो जाएगा।

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