हिमाचल: विदेशी मेहमानों से गुलजार हुई पौंग झील, यूँ दिख रहा खूबसूरत नज़ारा

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कांगड़ा: जिला कांगड़ा की पौंग झील इन दिनों कई देशों के पक्षियों से गुलजार है। पौंग झील में लगातार पक्षी मार्च तक रहने के लिए आ रहे हैं। अभी तक झील में 88 प्रजातियों के 68188 पक्षी दूसरे देशों से पहुंचे हैं। साइबेरिया से बार हेडेड गूज और कामन कूट प्रजातियों के पक्षी ज्यादा संख्या में पहुंचे हैं। ये पक्षी हर साल हजारों किलोमीटरों का सफर कर पहुंचते हैं।

 16 दिसंबर को वन्य प्राणी विभाग की ओर से की गई गणना के अनुसार पौंग झील में 88 प्रजातियों के 68188 पक्षियों ने डेरा जमाया है। बार हेडेड गूज प्रजाति के 27139 पक्षी, कामन कूट के 12867, नारदन पिनटेल के 5291, कामन टील 4445, कामन पाचर्ड 4229 पहुंचे हैं। लिटिल कारमोरेंट 3339, रुडी शेल्डक के 1654, गैडवाल के 1188, स्पाट बिलिड डक के 948, ऑरेशियन विजयान के 594, बारन शवैलो के 425 पक्षी डेरा जमाए हैं। नार्थन शावेलर के 423, कामन मूरहन के 420, ब्लैक हेडेड गल के 387, ब्लैक विंगड स्टीलट के 371 पक्षी आए हैं।

पर्पल मूरहन के 370, रिवर टर्न के 341, रिवर लैपविंग के 269, ग्रेट कोरमोरेंट के 268 व लिटिल ग्रेव प्रजाति के 253 पक्षी झील में अठखेलियां कर रहे हैं। 31 जनवरी, 2021 को हुई गणना के अनुसार एक लाख 8 हजार पक्षी दूसरे देशों से पौंग झील में पहुंचे थे। 

इन देशों के पक्षी पहुंचते हैं पौंग बांध
हर साल पौंग झील में रूस, साइबेरिया, दक्षिणी चीन, इंडो-तिब्बत सीमा, मंगोलिया सहित कई देशों के पक्षी छह महीने के लिए आते हैं। अक्तूबर से लेकर मार्च तक पौंग झील पक्षियों से गुलजार रहती है। झील में पर्यटकों को इन सुंदर पक्षियों को देखने के लिए वन्य जीव अभयारण्य के निर्मित जांच केंद्र से अनुमति लेना जरूरी रहता है। विभाग की नाव का उपयोग कर पर्यटक पक्षियों को निहार सकते हैं।

वन्य जीव अभयारण्य हमीरपुर के डीएफओ राहुल रोहाणे ने बताया कि पिछले साल एकाएक पक्षियों में बर्ड फ्लू के कारण 5000 पक्षियों की मौत हो गई थी। इसलिए इस साल इन पक्षियों की देखरेख और गणना को लेकर वन्य जीव अभयारण्य विभाग ने 15 टीमों का गठन किया है।

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