शिमला: दिन-रात कानून व्यवस्था और प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा में तैनात हिमाचल पुलिस बल सरकार में वेतन विसंगति की मार से जूझ रहा है। वर्ष 2000 में सिपाही भर्ती होने के बाद साल 2009 में हवलदार के पद पर पदोन्नत होने वाले पुलिस कर्मियों का वेतन 2021 में 51 हजार है, जबकि 2008 से 2012 के बीच सिपाही भर्ती हुए जवान 2021 में भी बतौर सिपाही सेवाएं दे रहे हैं।
इनका वेतन 58 हजार रुपये है। हवलदार निचले रैंक के सिपाही से भी कम वेतन लेकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। साल 2013 के बाद पुलिस कर्मियों को नियमित आधार पर सिपाही भर्ती करने के बावजूद तनख्वाह आठ वर्षों तक अनुबंध आधार पर दी जा रही है। नए नियमों के अनुसार अन्य सभी विभागों के कर्मचारियों को मात्र दो वर्षों के अनुबंध के बाद से नियमित रूप से सेवा में लाकर बढ़ी हुई तनख्वाह और अन्य सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है।
पुलिस कर्मियों को अलाउंस के नाम पर भी झुनझुना थमाया जा रहा है, उन्हें कन्वेयन्स अलाउंस के 20 रुपये, किट मेंटेनेंस अलाउंस 30 और राशन अलाउंस 210 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं। हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) बेसिक तनख्वाह के हिसाब से न्यूनतम 400 और अधिकतम 600 रुपये प्रति माह दिया जाता है।
एक जानकारी के अनुसार वर्ष 1857 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक अंग्रेजी सैन्य बल के विद्रोह करने के उपरांत वर्ष 1861 में तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत ने नियम बनाए कि कोई सैन्य बल किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन और हड़ताल नहीं कर सकेगा। यह नियम आज भी विभिन्न राज्यों के पुलिस बल पर प्रभावी ढंग से लागू हैं। यही कारण है कि राज्य पुलिस बल के कर्मचारी अपने अधिकारों और वेतन विसंगतियों जैसी अन्य समस्याओं के बारे में आवाज नहीं उठा सकते।
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने पुलिस कर्मियों के 8 वर्षों के अनुबंध के संबंध में बताया कि मामला पुलिस मुख्यालय की तरफ से सरकार को भेज दिया गया है, जो वर्तमान में सरकार के पास विचाराधीन है। जिन कर्मचारियों को वेतन विसंगति से संबंधित कोई समस्या है वे सरकार अथवा राज्यपाल को अनुशासित तरीके से बात लिख सकते हैं। उसके बाद अगर सरकार पुलिस मुख्यालय को कोई आदेश देती है तो नियमानुसार उन्हें अमल में लाया जाएगा।