सिरमौर: ग्रामीण परिवेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इतिहास गवाह है कि आजतक जितनी भी विभूतियां उच्च पदों पर पहुंची है वह सभी ग्रामीण परिवेश के हिन्दी मिडियम सरकारी स्कूलों की देन है। ऐसी ही एक ग्रामीण परिवेश की होनहार बेटी कविता चौहान ने काॅलेज कैडर के सहायक प्रोफेसर रसायन विज्ञान की परीक्षा उत्तीर्ण कर समूचे क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
बता दें कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा काॅलेज कैडर के विभिन्न विषयों के सहायक प्रोफेसर का परिणाम घोषित किया है, जिनमें केमिस्ट्री विषय में राजगढ़ क्षेत्र से कविता चौहान का भी चयन हुआ है।
कविता चौहान का जन्म वर्ष 1997 को राजगढ़ के हाब्बन के समीप तीर-गनोह नामक गांव में हुआ। इनके पिता जबर सिंह व माता पुष्पा एक साधारण परिवार से संबध रखते हैं। खेतीबाड़ी ही आय का एक मात्र साधन है। इन्होने प्राथमिक शिक्षा अपने पैतृक गांव तीर गनोह में करने के उपरांत आठवीं कक्षा मिडल स्कूल उलख-कतोगा से उत्तीर्ण की।
मैट्रिक तक शिक्षा सनौरा स्कूल में लेने के बाद कविता चौहान ने वर्ष 2014 में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला राजगढ़ से जमा दो की परीक्षा पास की। तदोपरांत डिग्री काॅलेज सोलन से वर्ष 2017 में बीएससी व हिमाचल विश्वविद्यालय से वर्ष 2019 में एमएससी (केमिस्ट्री) की परीक्षा उत्तीर्ण की।
कविता चौहान अब एचपीयू से रसायन विज्ञान में पीएचडी कर रही है। पिता जबर सिंह के अनुसार बचपन से ही उनकी बेटी बहुत होनहार थी। दिनरात पढ़ाई में व्यस्त रहती थी। कविता का बचपन से ही शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पद पाना एक उद्देश्य था।
उन्होंने बताया कि बेटी का चयन सहायक प्रोफेसर के पद पर होने से उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग रहा है। एक साक्षात्कार में कविता चौहान ने बताया कि वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के अलावा राजगढ़ स्कूल के अध्यापक सुशील राणा व सुमन राणा को देना चाहती है। जिनके मार्गदर्शन और प्रेरणा से वह यह मुकाम हासिल कर पाई है।
उन्होंने बताया कि सरकारी सेवा के साथ-साथ वह पीएचडी शिक्षा भी पूर्ण करेगी। कविता की मेहनत रंग लाई जोकि युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गई है।