स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) हिमाचल प्रदेश की जिला मण्डी इकाई ने 26 मई को काला दिवस के रूप में मनाया जाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के राष्ट्रव्यापी आह्वान का समर्थन करते हुए पूरे जिला मंडी के अलग-अलग स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि 26 मई को ऐतिहासिक किसान संघर्ष के 6 महीने पूरे हो चुके है। श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ ट्रेड यूनियनों द्वारा अखिल भारतीय हड़ताल के 6 महीने भी पूरे हो चुके है। एसएफआई, डीवाईएफआई और एडवा ने सयुंक्त रूप से कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ने पिछले सात वर्षों के दौरान देश के लोगों की अभूतपूर्व पीड़ा के लिए पूरी तरह से उदासीनता दिखाई है। उन्होंने तीन जनविरोधी कृषि कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को तत्काल निरस्त करने की मांग की। इसी संदर्भ में 26 मई को ‘काला दिवस’ मनाते हुए घरों में सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया।
प्रदर्शन के माध्यम से छात्रों, युवाओं व महिलाओं ने मांग की है कि पीएम केयर्स के बड़े फंड का इस्तेमाल ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, दवाएं और अस्पताल के बेड उपलब्ध कराने के लिए किया जाये। सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना को बंद करें और कोविड केयर उद्देश्य के लिए इस धन का उपयोग करें। सभी को कोविड स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त दें। सभी को मुफ्त और सार्वभौमिक टीकाकरण दें। निजी अस्पतालों को सख्ती से विनियमित करें और अत्यधिक बिलों के नाम पर रोगियों की लूट बंद करें।
सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करें। सभी गैर-आयकर भुगतान करने वाले परिवारों के खातों में तुरंत 7500 रुपये ट्रांसफर करें। पीडीएस के माध्यम से दाल, तेल, चीनी आदि आवश्यक वस्तुओं के साथ सभी जरूरतमंदों को छह महीने तक 10 किलो मुफ्त खाद्यान्न दें। काम का विस्तार करें, मनरेगा में मजदूरी बढ़ाएं, शहरी रोजगार गारंटी योजना शुरू करें। निजी क्षेत्र में नौकरी छूटने के लिए पर्याप्त मुआवजा प्रदान करें। सभी पंजीकृत बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता प्रदान करें। सेमेस्टर फीस सहित सभी फीस निरस्त करें। सभी गरीब और सामाजिक रूप से कमजोर छात्रों को सभी शैक्षणिक सुविधाएं, आवश्यक गैजेट और इंटरनेट सेवाएं मुफ्त प्रदान करें।