कोरोना काल ने बहुत से लोगों को प्रभावित किया है और बहुत से लोगो को इस वायरस ने अपनी चपेट में लेकर मौत के आगोश तक पंहुचा दिया है। आए दिन खबरें आ रही है कि लोगों को शमशान घाट में जलाने का विरोध हो रहा है। कुछ लोग ये कह कर रोडे बन रहे है कि निम्न व्यक्ति हमारे शमशाम घाट में आने वाली पंचायतो में नही आता।
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लोग कोरोना से मृत हुए अपने परिजनों का सडक के साथ लगते शमशाम घाटों में अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर है क्योंकि हमारे बहुत से शमशान घाट आज भी सड़कों के साथ नहीं जुड़े हुए है। शहरी इलाकों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश ग्रामीण इलाकों के शमशान घाट सड़क से कई किलोमीटर की दूरी पर है। अगर इन इलाकों में कोरोना के चलते किसी की मृत्यु होती है तो शमशाम घाट तक शव ले जाने और अंतिम यात्रा के सामान लिए ही कई लोगो की आवश्यकता पड़ेगी इससे स्तिथि और भी तनावपूर्ण और खराब हो सकती है।
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पेशे से फर्मासिस्ट अर्जुन बड़वाल ने जनप्रतिनिधियों, प्रशासन और वन विभाग से अनुरोध किया है कि वो जल्द से जल्द इन शमशान घाटों को सड़क सुविधा से जोड़े ताकि अंतिम संस्कार के वक़्त मृतक व उसके परिजनों को किसी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो।