सरेउलसर झील पर्यटकों व नागिन भक्तों को अपनी और करती है आकर्षित

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आनी (मधु शर्मा): जिला कुल्लू के आनी उपमंडल के जलोड़ी दर्रे में स्थित बूढ़ी नागिन का आलौकिक मंदिर अपनी प्रकृति छठा के लिए जाना जाता है। सरेउलसर नामक स्थान पर विराजमान बूढ़ी नागिन मंदिर लगभग 10,500 फुट की उंचाई पर स्थित यह झील अपने सौंदर्य के लिए विख्यात है।

सरेउलसर कुल्लू जिले के आउटर सिराज कहे जाने वाले आनी क्षेत्र में पर्यटन की आपार सम्भावनाये तलाशी जा सकती है। इस झील तक पहुंचने के लिए लगभग पांच किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है। सर्दियों में इस झील पर ज्यादा बर्फ पड़ने के कारण कोई भी  दर्शक श्रदालु नही आ पाते है गर्मियों के मौसम में लोग इस मनमहोक जगह का खूब आनंद लेते है।

यहां की उंची मनमोहक चोटियां पर्यटकों को  खूब लुभाती है। इस झील तक जाने के लिए अभी सड़क सुविधा बनाने के प्रयास चल रहे है । सर्द हवाओं और उंचाई पर स्थित सबसे बड़े धार्मिक व पर्यटन स्थलों में से एक सरेउलसर झील में लोग गर्मी से निजात पाने के लिए  यहां आते है। सरेउलसर झील करीब एक कि०मी० के दायरे में फैली है। झील के चारों ओर से रैई, खरशू आदि पेड़ों से घिरी हुई है। सर्दियों में अत्यधिक ठण्ड होने के कारण यह झील पूरी तरह से जम गई हैं।

लोगों की यहां पर माता बूढ़ी नागिन के प्रति असीम आस्था है। लोगों में विश्वास है कि नागमाता बूढ़ी नागिन झील में वास करती है और क्षेत्र की जनता सुख समृद्धि की कामना के लिए झील के चारों ओर गाय के घी की धारी से परिक्रमा करते हैं। श्रद्धालुओं में नागिन माता के प्रति खूब आस्था व श्रद्धा भाव  है, माता हर भक्त की मनोकामनाएं भी पूरी करती हैं।

सरेउलसर आने वाले हज़ारों लोग झील की सुंदरता को निहारते है, इस झील की सुंदरता को निहारने के लिए प्रतिवर्ष हजारों लोग पहुंचते हैं। इस झील का नजारा देंखने लोग अक्सर गर्मियों के दिनों में शनिवार और रविवार को ज्यादा संख्या में  पर्यटकों  आते है।

हर भक्त माता रानी के पंडाल में माथा टेक कर सद्बुद्धि और जीवन कल्याण का आश्रीवाद पाकर धन्य होते है। माता बूढ़ी नागिन के मंदिर में जो भक्त एक बार आता है दूसरी बार उसका मन फिर से यहां आने के लिए ल्लाहित होता है।

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