हिमाचल में भावी शिक्षकों की टेंशन खत्म, साल 2011 से TET की वैधता हुई आजीवन

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हिमाचल प्रदेश के हजारों भावी शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। दरअसल, अब सात साल बाद फिर से शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टेट पास करने की जरूरत नहीं रहेगी। एक बार टेस्ट पास करने से ही जीवन भर काम चल जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में बड़ा फैसला लिया है। जिसके तहत टेट की सात साल की वैधता खत्म कर आजीवन भर कर दी गई है।

वहीं, खास बात यह है कि पहले ही टेट पास कर चुके अभ्यर्थियों को भी इसका फायदा मिलेगा। हालांकि यह फायदा उन्हीं अभ्यर्थियों को मिलेगी जिन्होंने 2011 में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की है। 2011 से अभी तक के सभी अभ्यर्थी जिन्होंने टेट पास किया है उन्हें भी इसमें शामिल किया गया है।

बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से पहले ही शिक्षक पात्रता परीक्षा की सात साल की वैधता खत्म कर इसे जीवनभर के लिए करने का ऐलान कर दिया गया था, लेकिन अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया है कि यह निर्णय 2011 से लागू किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि 2011 से टेट की लाइफटाइम वैधता लागू होगी।

यानी जिन उम्मीदवारों ने 2011 में टेट पास किया है, उनके टेट सर्टिफिकेट भी अब उम्रभर वैध रहेंगे। केंद्र की ओर से लिखा गया है कि जिन उम्मीदवारों की 7 वर्ष की अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है, उन्हें नए टेट प्रमाण पत्र जारी करने / जारी करने के लिए राज्य और केंद्रशासित प्रदेश आवश्यक कार्रवाई करेंगे।

सरकारी स्कूल्स में शिक्षक की नौकरी पाने के लिए टेट पास करना जरूरी है। पहले टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट सर्टिफिकेट की वैधता सिर्फ सात साल तक के लिए होती थी। यानी अगर किसी उम्मीदवार ने वर्ष 2011 में टेट पास किया, तो उसका सर्टिफिकेट 2018 तक के लिए ही मान्य होता। उसी दौरान वह सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए अप्लाई कर सकता था। लेकिन अब यह बाध्यता खत्म कर दी गई है।

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