नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं क्लास के 17 वर्षीय छात्र की स्कूलों को खोलने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। साथ ही छात्र को नसीहत दी कि वह याचिकाएं दाखिल करने के बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्यों को स्कूलों को खोलने के लिए नहीं कह सकता है।बक्योंकि देश अभी-अभी कोरोना की दूसरी लहर से बाहर आया है और कोई नहीं जानता कि कोरोना का हमला फिर कब होगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि ऑफलाइन पढ़ाई के लिए स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला राज्यों को करना है। कोर्ट शासन को अपने हाथ में नहीं ले सकतीं। सरकार बच्चों को संभावित संक्रमण के संपर्क में आने से सावधान कर रही है। टीकाकरण को अभी गति मिली है। साथ ही पीठ ने कहा कि उसके पास वैज्ञानिक डाटा नहीं है और ना ही देश में कोविड के प्रकोप की पूरी जानकारी है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संक्रमण का खतरा बना हुआ है। बच्चों का टीकाकरण अभी नहीं हो रहा है। मुझे नहीं लगता कि बच्चों को स्कूल भेजने वाले सामान्य निर्देश जारी करने चाहिए।
दिल्ली के याचिकाकर्ता छात्र अमर प्रेम प्रकाश की ओर से पेश हुए वकील रवि प्रकाश मेहरोत्रा ने दलील दी कि कोरोना के चलते पिछले साल मार्च-अप्रैल से ही स्कूल बंद हैं। इसका छात्रों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है। मॉल-रेस्तरां खोल दिए गए हैं। ऐसे में स्कूल खोलने को प्राथमिकता देनी चाहिए।