प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के इस्तीफे को लेकर विपक्ष के सदन से वाकआउट करने के मामले में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में कहा कि विपक्ष बिखरा हुआ कुनबा है। सभी में नेता बनने की होड़ लगी है। विपक्ष के नेता अपने दूसरे सदस्यों को बोलने का मौका नहीं देना चाहते हैं। होना यह चाहिए कि वे सदस्यों को पहले बोलने का मौका दें।
यह भी पढ़ें :
उन्होंने वर्षों तक सदन में विपक्ष के नेताओं की कार्य प्रणाली देखी है। अनावश्यक और ज्यादा बोलने से कोई नेता नहीं बन जाता है। विषय कुछ और होता है और विपक्ष की ओर से बोला कुछ और ही जाता है। विपक्ष का काम सुझाव देना होता है।
यह भी पढ़ें :
ऐसा लगता है कि देश को संचालित करने का ठेका जैसा इन्होंने ही लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सांविधानिक पद है। उनकी ओर से किए गए व्यवहार पर सत्ता पक्ष को आपत्ति है। अध्यक्ष को हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस दिया जाता है। यह नोटिस सत्र के अंतिम दिन दिया है। वैसे भी इसके लिए एक तिहाई बहुमत की आवश्यक रहती है, जो विपक्ष के पास नहीं है। ऐसे में नोटिस खुद व खुद खारिज माना जाता है।
यह भी पढ़ें :
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि जो नोटिस दिया है, यह विपक्ष के 17 सदस्यों का हस्ताक्षरित है। इसमें स्पीकर को हटाने का मामला उठाया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। कांग्रेस का कोई वारिस नहीं रह गया है। कौन क्या कर रहा है, कोई पता नहीं। सदन की बैठक के अंतिम दिन नोटिस दे रहे हैं। ये ऑनलाइन नोटिस भेज देते। 14 दिन के लिए नोटिस पर विचार होता है।
यह भी पढ़ें :
राज्यपाल सत्र को आहूत करते हैं। 1975 में भी आपातकाल लगाया है। इनकी नीयत ठीक नहीं है। उन्होंने प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि संख्या के हिसाब के ये विचार करने के योग्य नहीं है। आज इस सदन का अंतिम दिन है। जैसा प्रावधान है, उसके अनुसार इसमेें 14 दिन चाहिए। न चर्चा, न ही इस पर बात कही है। ये खुद ब खुद तकनीकी तौर पर खत्म हो जाता है।
यह भी पढ़ें :
सिंघा ने कहा कि जो पिछले दो-तीन दिन में सदन के भीतर हुआ है, ये अच्छा नहीं हुआ है। हर विवाद का हल इस तरीके से निकाला जाए कि विवाद न बढे़।
यह भी पढ़ें :