शिक्षा निदेशालय के बाहर एसएफआई का धरना प्रदर्शन, कहा ऐसे समय पर परीक्षाएं करवाना छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़

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Himachal VOICE ब्यूरो, शिमला । शनिवार को एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने परीक्षाओं को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा जारी किए गए निर्देशों के खिलाफ शिमला में शिक्षा निदेशालय के बाहर  धरना प्रदर्शन किया।
एसएफआई राज्य कमेटी ने कहा कि एक और तो इस महामारी के कारण छात्र पहले ही मानसिक रूप पीड़ित है दूसरा परीक्षाओं को लेकर चल रही असमंजस ने और अधिक चिंता बढ़ा दी है। अब जल्दबाजी में केंद्र सरकार यूजीसी पर दबाव बनाकर इस भयंकर महामारी के समय परीक्षाओं को करवाने का फैसला छात्र समुदाय पर थोपना चाहती है जिसे बर्दाश्त नही किया जाएगा।
एसएफआई का मानना है कि राष्ट्रीय लॉकडाउन की कुछ शर्तें जिनमें शिक्षण संस्थानों का बन्द रहना अभी तक जारी है। आज इस महामारी के प्रसार में हम कई राज्यो में तीसरे चरण में पहुंच चुके है और प्रतिदिन देश में 20 से 25 हजार के करीब कोरोना संक्रमितों के मामले सामने आ रहे है। लेकिन अगर परीक्षाएं होती है तो करोडों छात्र देश भर में इन परीक्षाओं का हिस्सा बनेगा। इसके साथ साथ लाखो की संख्या में इन परीक्षाओं में शिक्षा विभाग के कर्मचारी (Teaching and non teaching staff) भी शामिल होंगे, जिससे वायरस के फैलने की संभावना ओर अधिक बढ़ेगी। तो क्या ऐसे में सरकारें उनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी लेने को तैयार है। हमने पहले ही इस महामारी के चलते बहुत कुछ खोया है 20 हजार के करीब लोगो की जाने अब तक चली गई है, कई लोग अभी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे है ।
 इसलिए एसएफआई ने मांग की है कि
1) सरकार, एमएचआरडी और यूजीसी परीक्षाओं सम्बन्धी अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें।
 2) UGC शीघ्र किसी अन्य मूल्यांकन विकल्प के साथ परीक्षा से सम्बंधित असमंजस को दूर करे।
  राज्य सचिव अमित ठाकुर ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार पर छात्रों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, सरकार व ग्रह मंत्रालय शीघ्र इस छात्र विरोधी यूजीसी के फरमान को वापिस लें। महत्वपूर्ण बात यह है कि परीक्षा व प्रमोशन सम्बन्धी आम छात्रों की राय जानने के लिए एसएफआई राज्य कमेटी द्वारा जो राज्य स्तर पर ऑनलाइन पोलिंग शुरू की गई है उसमे अभी तक 4 हजार के करीब छात्रों ने अपने सुझाव सहित वोट किया है जिसमें से  93% छात्र परीक्षाओं के खिलाफ प्रमोशन की मांग कर रहे है।

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