मज़दूर संगठन सीटू की ज़िला कमेटी मंडी 26 मई को काले दिवस व दिल्ली में छह महीने से संघर्षरत किसानों के साथ मज़दूरों की एकजुटता दिवस के तौर पर मनाएगी। जिसके तहत सभी मज़दूर यूनियनें अपने अपने कार्यस्थलों पर कोविड नियमों की अनुपालना करते हुए प्रदर्शन करेंगी। सीटू के ज़िला अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह और महासचिव राजेश शर्मा ने बताया कि 26 मई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल पूरे हो रहे हैं और इसी दिन सयुंक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर चल रहे आंदोलन के 6माह पूरे हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की मज़दूर, किसान और आमजनता विरोधी नीतियों के कारण जनता को मौत के मुंह पर और देश को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया है। देश में आज हजारों लोग कोरोना के कारण बेमौत पर रहे हैं लाखों लोग रोज संक्रमित हो रहे हैं जिसके लिए सीधे तौर पर मोदी सरकार ही जिम्मेदार है जिसने गैरजिम्मेदाराना तरीके से खुद नियमों को धत्ता जताते हुए चुनाव जीतने की बदहवासी के लिए लाखों लोगों को रैलियों में शामिल किया तो कभी कुम्भ जैसे मेलों का आयोजन करके लाखों लोगों की भीड़ जुटाई जिससे महामारी ने विकराल रूप ले लिया। इस बात की पुष्टि माननीय न्यायालय द्वारा बार बार की गई टिप्पणियों जिसमें इस हालत के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया गया है यहां तक कि चुनाव आयोग पर हत्या का मामला दर्ज करने से हो जाती है।
मग़र सरकार बेशर्मी से देश मे मजदूरों व किसानों को दबाने में लगी है इस महामारी का फायदा उठाकर मजदूरों किसानों से जुड़े कानूनों को बदल दिया है हिमाचल सरकार ने बीते हफ्ते में काम के घंटे 8 से 12 करने की अधिसूचना भी जारी कर दी है। ये कानून मजदूरों व किसानों को गुलाम बनाने का मसौदा मात्र हैं जिसको सीटू कतई बर्दाश्त नही कर सकता और इस महामारी में भी कोविड निर्देशों का पालन करते हुए संघर्ष जारी रखेगा।
संगठन मांग करता है कि सभी का इलाज मुफ्त में किया जाए।
सबको मुफ्त में वेक्सीन लगाई जाए।
सबको घरों तक महामारी चलने तक मुफ्त राशन व आर्थिक मदद दी जाए केरल में जहां वामपंथी सरकार है ये सुविधाएं अपने लोगों को दे सकती है तो हिमाचल सरकार क्यों नही।
सीटू ज़िला कमेटी सरकार से मांग करता है अस्पतालों में तुरंत आक्सीजन व वेंटिलेटर की व्यवस्था की जाए।
डॉक्टरों,नर्सों,व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती अविलंब की जाए।
महामारी के चलते लोगों को हुए आर्थिक नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाए जब देश के बड़े बड़े उद्योगपतियों को 20 लाख करोड़ रु का सहायता पैकेज दिया जा सकता है तो देशवासियों को क्यों नहीं।
संगठन मांग करता है कि प्रत्येक परिवार को 7500 रु प्रतिमाह आर्थिक मदद दी जाए।
मनरेगा के कार्य कोविड नियमों की पालना करते हुए शुरू किये जायें।
किसानों व मजदूरों के लिए बनाए गए नए कानूनों की रद्द किया जाए।
सरकार ने अगर मांगे ना मानी तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा।