फर्जी गरीबों को बीपीएल सूची से बाहर का रास्ता दिखाएगी हिमाचल की ये पंचायत

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कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीपीएल सूची से अपात्र लोगों को हटाना एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। सरकार द्वारा बनाए गए नियम भी इसके लिए नाकाफी साबित हो रहे है। इसलिए कई अपात्र लोग आज भी वर्षों से बीपीएल सूची में बने हुए हैं। आज के समय भी बहुत सारे साधन संपन्न लोग हर वर्ष बीपीएल परिवार में शामिल होने के लिए आवेदन करते रहते है जिस कारण पंचायत सचिव, पटवारी आदि कर्मचारियों का समय इसके सर्वेक्षण में बर्बाद हो जाता है।

इसी मुद्दे को लेकर उपमंडल बंजार की दूरदराज ग्राम पंचायत शिल्ही में सोमवार को बीपीएल परिवारों की समीक्षा हेतु एक विशेष ग्राम सभा का आयोजन हुआ। हालांकि इसमें अन्य मुद्दों और विकासात्मक कार्यों पर भी चर्चा परिचर्चा हुई लेकिन फर्जी गरीबों को बीपीएल सूची से बाहर कराने का मुद्दा इस ग्राम सभा में खूब गरमाया।

इस बैठक की अध्यक्षता ग्राम पंचायत शिल्ही की प्रधान शेतु देवी ने की। स्थानीय जिला परिषद सदस्य मान सिंह और पंचायत समिति सदस्य लीला देवी इस दौरान विशेष रूप से उपस्थित रहे। ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधिओं सहित स्थानीय लोगों ने इस बैठक में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।

इस विशेष ग्राम सभा में लोगों ने सर्वसमति से यह निर्णय लिया कि बीपीएल परिवार को एक वर्ष में कम से कम 50 दिन मनरेगा में कार्य करना अनिवार्य होगा। क्योंकि जो व्यक्ति मनरेगा में काम नहीं करता है तो वह गरीब कैसे हो सकता है। बीपीएल परिवार में शामिल होने के लिए भी आवेदक परिवार का एक वर्ष में कम से कम 50 दिन मनरेगा में काम किया हुआ होना चाहिए तभी उसके आवेदन पर विचार किया जा सकता है।

इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि बीपीएल परिवार का सरकार द्वारा चलाए जा रहे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम मे जुड़ना अनिवार्य होगा। यदि कोई पात्र व्यक्ति गरीब परिवार के उत्थान के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले रहा है तो उन्हें भी बीपीएल सूची से बाहर किया जाएगा।

गौरतलब है कि 50 दिन मनरेगा में काम करने पर उस परिवार का पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा मुफ्त में होता है। एक वर्ष मनरेगा में 90 दिन काम करने पर हर मजदूर का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण होता है। पंजीकरण के बाद उस मजदूर के परिवार को सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत कई प्रकार के फायदे मिलते हैं।

जैसे कि बच्चों की पढ़ाई- लिखाई के लिए पहली कक्षा से लेकर पीएचडी तक छात्रवृत्ति, बच्चों की शादी के लिए सहयोग राशि, इलाज के लिए खर्च, दुर्घटना बीमा, अंतिम संस्कार के लिए पैसा कुल 13 प्रकार की सुविधाएं मिलती है जो असल में यही गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम है। प्रति वर्ष 90 दिन मनरेगा में काम करने पर एक मजदूर की गरीबी आवश्य ही दूर हो सकती है l

ग्राम पंचायत शिल्ही के उपप्रधान मोहर सिंह ठाकुर ने बताया कि इनकी पंचायत में अभी तक एक व्यक्ति ने स्वेच्छा से बीपीएल परिवार छोड़ा है, जबकि बाकी 29 परिवारों को एक साल का मौका दिया गया है। यदि वह मनरेगा में काम नहीं करेंगे और गरीबी उन्मूलन कार्यकर्म में नहीं जुड़ेंगे तो अगली साल उन्हें सीधा बीपीएल सूची से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।इसलिए ग्रामसभा ने सर्वसम्मति यह प्रस्ताव पारित किया है जिससे फर्जी गरीब भी बाहर होंगे और अपात्र लोग आवेदन भी नहीं कर पाएंगे।

ग्राम पंचायत शिल्ली की प्रधान शेतू देवी ने बताया कि बहुत सारे बीपीएल परिवार जानबूझकर अपनी स्थिति सुधारना नहीं चाहते हैं जो मुफ्त व सस्ती दरों पर मिलने वाले गेहूं, चावल तक ही सीमित रहते हैं। ऐसे कई परिवार है जो वर्षो से बीपीएल सूची में जमे हुए है जो ना तो मनरेगा का काम करते है और ना ही सरकार द्वारा चलाए जा रहे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में जुड़ने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बताया कि ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करके खण्ड विकास अधिकारी बंजार, जिला पंचायत अधिकारी कुल्लू और उपायुक्त कुल्लू की सेवा में भेजा जाएगा।

जिला परिषद सदस्य मान सिंह ने कहा कि इस ग्राम पंचायत के लिए सड़क सुविधा ना होने के कारण लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लोगों की समस्यायों को शासन प्रशासन के समक्ष उठाया जाएगा। इस अवसर पर इन्होंने सड़क मार्ग से ग्राम पंचायत शिल्ली कार्यालय तक रास्ता बनाने के लिए दो लाख रुपए देने की घोषणा की है।

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