जिस बेटी के माता-पिता कभी स्कूल की दहलीज तक नहीं पहुंचे, वह जेईई मेन्स की परीक्षा में 98.2 परसेंटाइल हासिल कर दूसरे के लिए प्रेरणा बन गई। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति की छात्रा सोनम अंगमो ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को बुलंद किया है।
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अंगमो के माता-पिता कभी स्कूल नहीं गए। बेटी जिंदगी में कुछ बन जाए। इसी सोच के साथ दोनों ने अंगमो को मेहनत के लिए प्रेरित किया। परिवार का पेट खेतीबाड़ी से चलता है, बावजूद माता पदमा देचिन और पिता का हौसला नहीं डगमगाया। पढ़ाई के साथ-साथ अंगमो परिजनों का खेतीबाड़ी में भी हाथ बंटाती है।
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अंगमो और उसका परिवार मयाड घाटी के जिस छालिंग गांव में रहता है। वहां आजादी के दशकों के बाद भी न तो फोन की सुविधा है और न ही इंटरनेट चलता है। माता-पिता के सपने को पूरा करना चुनौती से कम नहीं था, पर मजबूत हौसले और कुछ कर गुजरने के जज्बे को लेकर अंगमो आगे बढ़ती रही।
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सोनम अंगमो ने पांचवीं तक की पढ़ाई राजकीय प्राथमिक स्कूल छालिंग से की। इसके बाद अंगमो ने मेहनत कर स्पीति के लरी नवोदय स्कूल में दाखिला पाया। 10वीं की पढ़ाई के बाद जेएनवी कुल्लू से 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद जेईई मेन्स की परीक्षा दी और असंभव सी लग रही चुनौती को संभव कर दिखाया।
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परीक्षा के भौतिक विज्ञान में 96.37, रसायन विज्ञान में 99.29 और गणित में 96.95 परसेंटाइल हासिल किया है। परसेंटाइल के आधार पर दावा किया जा रहा है कि सोनम अंगमो एसटी वर्ग में पूरे देश में अव्वल आई है।
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माता-पिता को नहीं पता, क्या होती जेईई मेन्स परीक्षा निरक्षरता के कारण मामा-पिता को अपनी बेटी की सफलता पर गर्व तो है लेकिन उन्हें यही पता नहीं कि जेईई मेन्स की परीक्षा क्या है।