श्याम सरण नेगी कैसे बने देश के पहले मतदाता, जानें

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हिमाचल वॉइस स्पेशल: देश के पहले मतदाता श्याम सरण नेगी हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला से संबंध रखते हैं। आजादी के बाद से आज तक कोई ऐसा चुनाव नहीं है, जिसमें श्याम सरण नेगी ने वोट न डाला हो। चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का या फिर पंचायतीराज संस्थाओं का, नेगी ने हर चुनाव में मतदान किया है। वह चुनाव आयोग के ब्रांड एंबेसडर भी रहे हैं।

श्याम सरण नेगी का जन्म जुलाई 1917 को किन्नौर जिला के कल्पा में हुआ। 10 साल की उम्र में वह स्कूल गए। नेगी की पांचवीं तक की पढ़ाई कल्पा में हुई। इसके बाद वह पढ़ाई के लिए रामपुर गए। उस समय रामपुर जाने के लिए पैदल तीन दिन लगते थे। नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई रामपुर में ही की। उम्र ज्यादा होने से 10वीं कक्षा में प्रवेश नहीं मिला।

मास्टर श्याम सरण नेगी ने शुरू में 1940 से 1946 तक वन विभाग में वन गार्ड की नौकरी की। उसके बाद शिक्षा विभाग में चले गए और कल्पा लोअर मिडल स्कूल में अध्यापक बने।

श्याम सरण नेगी ऐसे बने देश के प्रथम मतदाता

देश में फरवरी 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ, लेकिन किन्नौर में भारी हिमपात के चलते पांच महीने पहले सितंबर 1951 में ही चुनाव हो गए। पहले चुनाव के समय श्याम सरण नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे और चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। उन्हें वोट देने का भी शौक था। उनकी ड्यूटी शौंगठोंग से मूरंग तक थी, जबकि वोट कल्पा में था। इसलिए उन्होंने सुबह वोट देकर ड्यूटी पर जाने की इजाजत मांगी।

वह सुबह-सुबह मतदान स्थल पर पहुंच गए। 6:15 बजे मतदान ड्यूटी पार्टी पहुंची। नेगी ने जल्दी मतदान करवाने का निवेदन किया। मतदान पार्टी ने रजिस्टर खोलकर उन्हें पर्ची दी। मतदान करते ही इतिहास बन गया और मास्टर श्याम सरण नेगी आजाद भारत के पहले मतदाता बन गए।

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