लखीमपुर खीरी में किसानों की गाड़ी से रौंदकर हत्या मामले में किसान सभा उग्र

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मंडी: केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे अभिषेक मिश्रा व उसके साथियों द्वारा कल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) में किसानों को गाड़ी से रौंदकर दिनदहाड़े उनकी बर्बर हत्या करने की घटना के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज हिमाचल किसान सभा की चौंतड़ा ब्लॉक कमेटी ने किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में चौंतड़ा में प्रदर्शन किया तथा खंड विकास अधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा।

इस अवसर पर किसान सभा ब्लॉक कमेटी की सह सहचिव एवं बीडीसी सदस्य नीलम वर्मा, वरिष्ठ किसान नेता भगत राम वर्मा, धनवंती देवी व संजीत कुमार प्रकाश चंद, संतोष, राजेश कुमार, राज कुमार, निशु देवी, राम सिंह, सीमा देवी, मथरी देवी, देस राज, सुमना देवी, वीना देवी, सुन्नी देवी सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया।

इस अवसर पर कुशाल भारद्वाज ने कहा कि इस घटना से पूरा देश क्षुब्ध है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र “टेनी” के बेटे और उसके गुंडे साथियों ने जिस बेखौफ तरीके से यह कातिलाना हमला किया वह उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की एक गहरी साजिश दिखाता है। अजय मिश्रा पहले ही किसानों के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजनक भाषण देकर इस हमले की भूकेमिका बना चुके थे। यह संयोग नहीं कि उसी दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सार्वजनिक तौर पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को किसानों के खिलाफ लट्ठ उठाने और हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस घटना से यह साफ हो जाता है संवैधानिक पदों पर बैठे यह व्यक्ति अपने पद का उपयोग शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे अन्नदाता के विरुद्ध सुनियोजित हिंसा के लिए कर रहे हैं। यह कानून, संविधान और देश के प्रति अपराध है। इस लिए केंद्रीय राज्य गृह मंत्री अजय मिश्र टेनी को तुरंत अपने पद से बर्खास्त किया जाए और उनके विरुद्ध हिंसा उकसाने और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने का मुकदमा दायर किया जाए।

मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा “मोनू” और उसके साथी गुंडों पर तुरंत 302 (हत्या) का मुकदमा दर्ज हो और उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए। इस वारदात की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी द्वारा की जाये। संवैधानिक पद पर रहते हुए हिंसा के लिए उकसाने के दोषी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उनके पद से बर्खास्त किया जाए।

प्रदर्शनकारियों को संबोन्धित कुशाल भारद्वाज ने कहा कि मोदी सरकार को हठधर्मिता छोड़कर किसान व आम जनता विरोधी तीनों कृषि कानून तुरंत निरस्त कर देने चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चहेते पूँजीपतियों को फाइदा पहुंचाने के लिए खेती किसानी को तबाह करने वाले ये तीन कानून लाये गए हैं। पूरा देश का किसान इन क़ानूनों के खिलाफ है लेकिन मोदी सरकार इन क़ानूनों को किसान हितैषी बता कर देश की जनता को गुमराह करने पर तुली हुई है।

उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से बड़े पूँजीपतियों के आगे नतमस्तक है तथा किसानों के साथ-साथ मजदूर वर्ग के खिलाफ भी लेबर कोड लेकर आई है। साथ ही देश के उद्यमों और साधनों को भी पूँजीपतियों को सौंपा जा रहा है। जनता पर महंगाई की मार, काले क़ानूनों से वार और चहेते पूँजीपतियों पर उपकार को देश की जनता सहन नहीं करेगी।

इस अवसर पर नीलम वर्मा व भगत राम ने कहा कि इन नीतियों के खिलाफ पूरे ब्लॉक में भी किसानों को संगठित किया जाएगा तथा किसानों के हितों के लिए एकजुटता से संघर्ष किया जाएगा।

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